What is Keyboard in Hindi- Keyboard kya hai, Definition, Types, History

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आज के युग मे कम्प्यूटर चलाना तो बहुत से लोग जानते है। यदि आप कम्प्यूटर के बारे मे जानते है तो कम्प्यूटर keyboard kya hai के बारे मे भी जरूर जानते होंगे और बहुत से लोगों ने तो इसका इस्तेमाल भी किया होगा।

किसी ने डेस्कटाप कम्प्यूटर के जरिये तो किसी ने लैपटाॅप कम्प्यूटर के जरिये कीबोर्ड को यूज किया होगा। वैसे इसका सबसे बेसिक इस्तेमाल कम्प्यूटर मे डाटा एन्टर करने के लिए होता है।

इसके अलावा इससे हम टाइपिंग भी करते हैं और कम्प्यूटर को कमांड भी देते है।

लेकिन यहा हम लगभग सभी ऐसे प्वाइंट्स बताने जा रहे हैं जिसे आपने शायद पहले कभी नही  जाना होगा।

Keyboard kya hai (What is Keyboard in Hindi)

Keyboard इनपुट डिवाइस है जो कम्प्यूटर मे डाटा इनपुट करने के लिए इस्तेमाल होता है। यह कम्प्यूटर हार्डवेयर डिवाइस है जिसमे  बटन होते है इसके द्वारा नम्बर, लेटर, सिम्बल टाइप करते है।

कीबोर्ड का मुख्य काम टाइपिंग और डाटा इनपुट करना होता है। यह एन्टर किये गये इनपुट को लेता है और इसे अपनी भाषा यानि मशीन लैंग्वेज मे बदल देता है जिसे CPU प्रोसेस कर सके।

इसके अतिरिक्त कई फंक्शन कीज होते हैं जो किसी विशेष कार्य को करने के लिए डिजाइन किये जाते है. जैसे F5 की से पेज को रिफ्रेश कर सकते हैं

कुछ बटन काॅम्बिनेशन जैसे Ctrl C से किसी फाइल या डाॅक्यूमेंट को काॅपी तथा Ctrl V से पेस्ट करते है।

स्पीकर के वाॅल्यूम को कम करने के लिए इस्तेमाल करते है।

कैल्कुलेटर मे न्यूमरिक कीपैड का इस्तेमाल करके कैलकुलेशन करते हैं।

एरो की को इस्तेमाल करके टेक्स्ट कर्सर को ऊपर या नीचे  मूव कर सकते है इससे हम डाॅक्यूमेंट को पढ़ लेते है।

मल्टीमीडिया कुंजी की मदद से म्यूजिक को कंट्रोल करते है जैसे म्यूजिक को प्ले करना, पाॅश करना, रिवाइंड करना, स्टाॅप करना. कम्प्यूटर को कमांड देते है।

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Keyboard Keys

कम्प्यूटर कीबोर्ड मे कुंजियों (कीज) की संख्या 100-104 तक होती है। सामान्य कीबोर्ड की बात करे तो उसमे 104 कुंजी होती है। इस प्रकार के कीबोर्ड को हम घर व आफिस मे इस्तेमाल करते हैं।

कीबोर्ड मैनुफैक्चरर और आपरेशन सिस्टम के आधार पर इनकी संख्या कम या ज्यादा होती है

Types of Keyboard Keys

कुंजी को कुछ विशेष कार्य के आधार पर 6 भागो मे बाटा गया है जो इस प्रकार है

  1. Typing Keys
  2. Function Key
  3. Numeric Key
  4. Control Key
  5. Navigation Key
  6. Indicator Lights

1) Typing Key- यह कीबोर्ड मे सबसे ज्यादा इस्तेमाल मे आने वाली कुंजी होती है। इसमे Alphabetic, Symbol, Punctuation Marks, Numeric Keys होती है इसलिए Alphanumeric Keys भी कहते हैं।

टाइप करते समय सबसे पहले किसी व्यक्ति का हाथ Alphabet Keys पर ही होता है जहां से बह अपने हाथ को मूव करते हुए टाइप करता है। प्रशिक्षण करते समय भी शुरुआत इन्ही कुंजियों से की जाती है।

2) Function Keys- Function Key कीबोर्ड के सबसे ऊपर होते हैं  जो F1 से लेकर F12 तक संख्या मे कुल 12 होते है।  इनका इस्तेमाल खास तरह के फंक्शन (कार्य) के लिए करते है।

3) Numeric Keypad- इनका प्रयोग संख्याओं को इनपुट करने के लिए होता है। यह करने मे इनका इस्तेमाल होता है इसलिए इन्हे कैलकुलेटर कीज (Calculator Keys) कह सकते है।

4) Control Keys- Control Keys मे सामान्यतः Ctrl Key, Windows Key, Alt Key का प्रयोग होता है इसके अतिरिक्त भी कुछ कीज है जैसे “Prt Scr” Key, “Scroll Lock” Key, “Pause Break” Key etc.

कुछ कीज ऐसे है जिन्हे अकेले या कुछ अन्य कीज के साथ किसी निश्चित कार्य को करने के लिए किया जाता है।

5) Navigation Keys- इसके अंतर्गत Arrow Key, Home, End, Insert, Delete, Page Up, Page Down Keys आती है। इसका प्रयोग कर्सर तथा टेक्स्ट डाॅक्यूमेंट को मूव करने के लिए किया जाता है।

6) Indicator light- इसके अंतर्गत तीन प्रकार के लाइट होते हैं जिनका क्रम इस प्रकार है पहला Num Lock, दूसरा Caps Lock और तीसरा Scroll Lock.

Note:

अगर Num Lock के ऊपर की लाइट जल रही है तो इसका मतलब है Numeric Keypad आन है यदि लाइट बंद है मतलब आफ है।

दूसरी लाइट Alphabet के Uppercase और Lowercase का संकेत देती करती है। यदि यह जल रही होती है तो इसका अर्थ है Caps Lock आन है यदि बंद है तो यह आफ है।

तीसरी लाइट का जलना Scroll Key के आन और आफ होने को बताता है।

Navigation Keys in Detail

Navigation keys ऐसे बटन होते है जिनकी मदद से हम नैविगेट करते है अर्थात कम्प्यूटर मे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकते है। कर्सर को जल्दी से आवश्यक स्थान ले जा सकते है।

Arrow Key- कुल चार प्रकार के Arrow Keys होते है जो इस प्रकार है: Up Arrow, Down Qrrow, Left Arrow, Right Arrow. इन कुंजियों की मदद से किसी डाॅक्यूमेंट या पेज पर कर्सर को मूव कराते है और जिस भाग को पढ़ना होता है वहां आसानी से चले जाते हैं।

Home Key- इसे मदद से किसी डाॅक्यूमेंट या पेज के शुरूआत मे आ जाते है। मतलब यदि कोई रीडर पेज के आखिर मे है तो इसे प्रेस करते ही उसका कर्सर शुरुआत मे आ जायेगा। इससे कर्सर को ऊपर ले जाने की जरूरत नही होगी और समय की बचत होती है।

End Key- यह होम कुंजी का उल्टा काम करता है। इसकी सहायता से हम किसी वेब पेज/पेज के एकदम नीचे आ जाते है। इस तरह दोनो Home और End Key से समय की बचत होती है।

Insert Key- इसका इस्तेमाल लिखे गये टेक्स्ट को ओवरराइट करने के लिए किया जाता है। इस कुंजी का इस्तेमाल ज्यादातर प्रोग्रामिंग लैग्वेजेस लिखते समय किया जाता है।

Page Up- Page Up का इस्तेमाल एक पेज ऊपर जाने के लिए करते हैं अर्थात स्क्रीन पर आपके सामने जो पेज दिखाई दे रहा है ठीक उसके ऊपर वाले पेज पर मूव करने के लिए करते है।

Page Down- Page Down का इस्तेमाल एक पेज नीचे जाने के लिए करते हैं।

कुछ अन्य प्रमुख कीबोर्ड कुंजी (Some Other Keyboard Keys)

Shift Key- किसी कुंजी के बटन के ऊपर लिखे गये कैरेक्टर को टाइप करने के लिए इसका इस्तेमाल होता है।  इसके अतिरिक्त  इससे कैपिटल लैटर भी टाइप किया जाता है जिसके लिए Shift + बटन को एक साथ प्रेस करना होता है। इसे हम नीचे अच्छे से समझते है।

जैसे यदि हमे् # टाइप करना है तो हम Shift + 3 को एक साथ प्रेस करना होगा।

इसके अतिरिक्त किसी कैरेक्टर के Uppercase और Lowercase को टाइप करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं।

जैसे यदि हमे Capital A (A) टाइप करना है तो Shift + A एक साथ टाइप करेंगे और यही तरीका Small A (a) टाइप करने के लिए भी होगा। अगर अल्फाबेट स्माॅल है तो कैपिटल और स्माॅल है तो कैपिटल मे टाइप हो जायेगा।

Caps Lock Key- यह Shift key के ठीक ऊपर स्थित होता है। इसे प्रेस करने से Caps Lock आन हो जाता है। इसे प्रेस करके आप आसानी से Uppercase और Lowercase के बीच स्वीच हो सकते है। अर्थात एक बार प्रेस करने पर तब तक कैपिटल लैटर ही टाइप होता है जब तक इसे दोबारा न प्रेस किया जाय।

Tab Key- यह Caps Lock Key के ठीक ऊपर और Q के बगल मे स्थित होता है। Tab Key का इस्तेमाल स्पेस को बार-बार यूज करने से बचने के लिए किया जाता है।  इसके द्वारा कई अक्षरों को एक साथ स्पेस दे सकते है। इसका इस्तेमाल कुछ निश्चित कीबोर्ड शाॅर्टकट्स के लिए भी करते है।

Backspace- इसका यूज शब्दों के बीज स्पेस डालने के लिए करते हैं। इसके अतिरिक्त इससे सेलेक्ट किये गये टेक्स्ट को डिलीट भी कर सकते हैं।

Esc Key- इसका पूरा नाम Escape Key है। किसी एक्टिव टास्क से बाहर आने के लिए हम इस कुंजी को प्रेस कर सकते हैं।

Keyboard History & Invention (कीबोर्ड का इतिहास)

कीबोर्ड का आविष्कार टाइपराइटर के निर्माण के बाद अस्तित्व मे आया। पहले के टाइपराइटर मे अल्फाबेट A से Z तक क्रम मे होते थे। इस तरह के लेआउट के कारण टाइपिंग स्पीड स्लो थी।

इसके अतिरिक्त पुराने टाइपराइटर मे बार-बार टाइप करने से उसके कीज भी एक दूसरे से फस जाते थे जिससे गलती होने की संभावना बढ़ जाती थी। इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होने इसका आविष्कार किया।

इसके लिए इन्होने ज्यादा इस्तेमाल  मे आने वाले कैरेक्टर को एक दूसरे से दूरी पर रखा। इस प्रकार कीज के फसने/जाम होने की संभावना लगभग खत्म हो गयी।  यही कीबोर्ड लेआउट आज के कम्प्यूटरो मे देखने को मिलता है।

इसे दूर करने के लिए ही क्रिस्टोफर लाथम शोल्स ने एक निश्चित पैटर्न बनाया तथा कुंजियों को एक निश्चित क्रम पर रखा। इस तरह से QWERTY Keyboard Layout की आधारशिला रखी।

कुंजियों की पोजीशन पहले से बेहतर हो गयी। इसके बाद भी काफी समय तक टाइपराइटर का ही इस्तेमाल होता रहा।

Types of Keyboard

Mechanical Keyboard

यह सबसे प्रारंभिक कीबोर्ड है जो हर की के लिए फिजिकल बटन का यूज करता था। जब बटन को प्रेस किया जाता था जो शोर होता था

तथा बटन प्रेस करते ही इलेक्ट्रिकल सिग्नल के रूप मे कंप्यूटर को इंस्ट्रक्शन जाता था और वह उस लेटर को दर्शाता था। 

Laptop Keyboard

इस प्रकार के कीबोर्ड मे कुंजियों की संख्या कम होती है तथा उनके बीच स्पेस भी कम होता है। QWERTY लेआउट को इसमे यूज करते हैं।

कुछ न्युमेरिक कीज के साथ फंक्शन कीज को इसमे शामिल किया जाता है। 

Gaming Keyboard

इसमे कुंजियों की संख्या कम होती है जो विशेष रूप से गेमर्स के लिए बनाए जाते हैं। इसमे आपको W S D A और एरो कीज देखने को मिलेगा।

सामान्य कीबोर्ड की तुलना मे इसमे कुछ एक्स्ट्रा फीचर दिये होते हैं जैसे- Multimedia Keys, Illuminated Keys, LCD screen, Palm rest.

मल्टीमीडिया कीज का इस्तेमाल साउंड को कम या ज्यादा करने के काम आता है।

Ergonomic Keyboard

ज्यादा समय तक टाइपिंग करने से कलाई, हाथ, गर्दन मे दर्द तथा उंगलियों मे झुनझुनी होने लगती है और जब आप इसी प्रोफेशन मे होते हैं तो यह परेशानी करने वाला होता है।

इसी समस्या से बचने के लिए Ergonomic keyboard को डिजाइन किया गया। टाइपिंग करते समय हाथ और कलाइय अपनी प्राकृतिक स्थिति मे रहती है और उन पर ज्यादा दबाव नही पड़ता ।

हाथो को एक दूसरे से अलग रखा जाता है  इससे आराम की स्थिति मे होते है। इससे कलाई, कंधे, कोहनी, गर्दन पर तनाव कम होता है।

Keyboard  Layout

कई देशों ने अपने यहां की भाषा और लेआउट के आधार पर कई तरह के कीबोर्ड बनाये हैं जिनके बटन की पोजीशन जमावट अलग-अलग होती है। 

इनके अलग संरचना, बनावट, भाषा के आधार पर ही इनके कैटेगरी को निर्धारित किया गया है। इनकी दो कैटेगरी होती है जो नीचे दिया गया है।

  1. QWERTY या QWERTY Keyboard Layout 
  2. Non-QWERTY Keyboard Layout

QWERTY या QWERTY Keyboard Layout

अधिकांश कम्प्यूरो मे  QWERTY Keyboard का ही इस्तेमाल होता है। यह इतना पापुलर हुआ कि इसके लेआउट को QWERTY Keyboard Layout कहा जाने लगा।

इस लेआउट का आविष्कार Christopher Latham Sholes ने किया था। यह सबसे अधिक प्रयोग मे आने वाला Keyboard layout है। आज के कम्प्यूटरों मे इसका इस्तेमाल ही सबसे ज्यादा किया जाता है।

पुराने टाइपराइटर मे बार-बार टाइप करने से उसके कीज एक दूसरे से फस जाते थे जिससे गलती होने की संभावना बढ़ जाती थी। इसी कमी को दूर करने के लिए उन्होने इसका आविष्कार किया।

हालांकि इस लेआउट के बन जाने के बाद कम्प्यूटरो मे कीज के फसने की संभावना नही होती। लेकिन कहते है ना जिस चीज का इस्तेमाल किया जाता है वही हैबिट मे आ जाता है।

इसलिए हर जगह इसका प्रयोग होने से इसकी पापुलैरिटी बढ़ गयी और लोग इसे ही स्टैंडर्ड कीबोर्ड मानते हैं।

इसके अतिरिक्त भी कीबोर्ड लेआउट आए लेकिन वे इतना पापुलर नही हुए जितना यह क्योकि तब तक यह पूरे विश्व मे फैल चुका था और हर जगह इसी का इस्तेमाल होने लगा था।

Desktop, Laptop, Mobile मे भी इसी लेआउट का इस्तेमाल होता है इस प्रकार इसे अंतराष्ट्रीय कीबोर्ड लेआउट कहा जाय तो गलत न होगा।

चूकि QWERTY कीबोर्ड लेआउट का इस्तेमाल शुरू से चला आ रहा था और सभी लोग इसमे अभ्यस्त हो गये थे। बाकि के लेआउट बाद मे आये तब तक यह लोगो मे प्रचलित हो गया, इसीलिए हर जगह इसी का इस्तेमाल होने लगा।

अभी भी कुछ आपरेटिंग सिस्टम है जहां DWORAK Keyboard को यूज करने का आप्शन मिलता है जहां से इनपुट सेटिंग को बदलकर QWERTY की जगह दूसरे लेआउट को सेलेक्ट कर सकते हैं।

“QWERTY” शब्द Upper row के पहले् 6 अल्फाबेटिकल कैरेक्टर है जिसके कारण इसका यह नाम पड़ा।

QWERTY लेआउट पर आधारित बने कीबोर्ड है जैसे-

  • AZERTY
  • QWERTZ
  • QZERTY

AZERTY

 फ्रांस तथा यूरोप के कुछ भागो मे प्रयोग मे लाया जाता है। AZERTY मे Q, W Keys के स्थान पर क्रमशः A और Z आ जाता है।

QWERTZ

इसका प्रयोग जर्मनी, मध्य यूरोप के कुछ भागो मे प्रयोग किया जाता है। AZERTY की तरह इसमे भी कुंजियो की पोजीशन और वैरिएशन मे भिन्नता देखने को मिलता है।

“QWERTZ” शब्द Upper row के पहले् 6 अल्फाबेट है जिसके कारण इसका यह नाम पड़ा।

QZERTY

 इसे इटली मे डिजाइन किया गया है।

HCESAR

पुर्तगाल मे 1937 मे इस लेआउट को बनाया गया था।

Non-QWERTY Keyboard Layout

ऐसे कीबोर्ड जिनके लेआउट QWERTY से अलग हो इस कैटेगरी मे आते है। इसमे बटन की पोजीशन क्वर्टी से अलग होती है।

इनके उदाहरण है-  

  • DWORAK
  • Colemak
  • Workman

DWORAK

 वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर August Dvorak ने 1930 मे इसे डिजाइन किया था। कुछ टाइपिस्ट इसी लेआउट का प्रयोग करते है। सबसे तेज टाइपिंग का रिकाॅर्ड बनाने के लिए बारबरा ने इसी लेआउट का प्रयोग किया था।

इसे डिजाइन करने का मुख्य उद्देश्य टाइपिंग स्पीड को बढ़ाना था। इनके कुंजियो को इस प्रकार से वयवस्थित की गयी थी ताकि उंगलियों की अनावश्यक गति को कम किया जा सके और गलतियां कम हो।

DWORAK Layout मे ज्यादातर इस्तेमाल होने वाले लेटर्स को होम रो मे रखा गया है जिमे बायी तरफ वाॅवेल्स को तथा काॅन्सोनेन्ट को दायी तरफ रखा गया। टाइपिंग मे आने वाले लेटर्स का 70% हिस्सा होम रो मे आता है जो कि टाइपिंग स्पीड को बढ़ा देते हैं।

Colemak

यह QWERTY और DWORAK के बाद सबसे अधिक पाॅपुलर कीबोर्ड है। इसे QWERTY और DWORAK के विकल्प के रूप मे उपयोग करते हैं। यह Mac, Linux आपरेटिंग सिस्टम मे यह प्रीइंस्टाल्ड आता है यानि अलग से इंस्टाल नही करना होता।

Workman

साॅफ्टवेयर प्रोग्रामिंग को ध्यान मे रखकर विकसित किया गया। हाथ और उंगलियो के बीच पड़ने वाले खिचाव को कम करता है।

दोस्तो आज के आर्टिकल मे हमने डिटेल मे जाना  कि Keyboard kya hai, types of keyboard, keyboard history तथा keyboard invention किस ने किया।

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